📜 डीएम (District Magistrate - DM) और कलेक्टर (Collector) के बीच अंतर
📅 भारत में डीएम (District Magistrate) और कलेक्टर (Collector) जिले के प्रशासन में सबसे महत्वपूर्ण पद होते हैं।
🔍 दोनों पदों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों को दिया जाता है, लेकिन इनके कार्य, जिम्मेदारियाँ और शक्तियाँ अलग-अलग होती हैं।
👉 DM और कलेक्टर का पद एक ही व्यक्ति द्वारा संभाला जा सकता है, लेकिन उनकी भूमिका और कार्यक्षेत्र अलग होते हैं।
🔷 डीएम (District Magistrate - DM) कौन होता है?
✔ DM जिले का सर्वोच्च कानून व्यवस्था अधिकारी होता है।
✔ DM का मुख्य उद्देश्य जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराध नियंत्रण और न्यायिक कार्यों का संचालन करना होता है।
✔ DM को CrPC (Code of Criminal Procedure) और अन्य आपराधिक कानूनों के तहत शक्तियां प्राप्त होती हैं।
✔ DM पुलिस प्रशासन और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को निर्देशित कर सकता है।
📌 DM का मुख्य कार्य: शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
🔷 कलेक्टर (Collector) कौन होता है?
✔ कलेक्टर जिले का मुख्य राजस्व अधिकारी होता है।
✔ कलेक्टर का मुख्य उद्देश्य जिले में राजस्व संग्रहण, भूमि प्रबंधन, करों की वसूली और सरकारी योजनाओं का संचालन करना होता है।
✔ कलेक्टर को राजस्व कानूनों, भूमि अधिग्रहण अधिनियम और सरकारी योजनाओं के तहत शक्तियां प्राप्त होती हैं।
✔ कलेक्टर जिले के सभी तहसीलदारों और पटवारियों का नेतृत्व करता है।
📌 कलेक्टर का मुख्य कार्य: राजस्व प्रबंधन और विकास योजनाओं का क्रियान्वयन।
🔷 DM और कलेक्टर के बीच अंतर (Difference between DM and Collector)
बिंदु | डीएम (DM) | कलेक्टर (Collector) |
---|---|---|
मुख्य भूमिका | कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराध नियंत्रण | राजस्व संग्रहण, भूमि प्रबंधन, सरकारी योजनाओं का संचालन |
कानूनी आधार | आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), IPC | राजस्व कानून, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, सरकारी आदेश |
शक्तियां | धारा 144 लागू करना, पुलिस को निर्देश देना | भूमि अधिग्रहण, कर वसूली, संपत्ति विवाद निपटाना |
कार्यक्षेत्र | पुलिस, न्यायालय, अपराध नियंत्रण | भूमि प्रबंधन, राजस्व विभाग, कृषि विभाग |
प्रमुख उद्देश्य | जिले में शांति और सुरक्षा बनाए रखना | जिले का राजस्व और आर्थिक प्रबंधन करना |
प्रमुख कर्तव्य | अपराधों को नियंत्रित करना, न्यायिक कार्यों की देखरेख | भूमि रिकॉर्ड का प्रबंधन, राजस्व का संग्रहण |
अधिकारों का उपयोग | पुलिस और कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों में | भूमि, संपत्ति और राजस्व से जुड़े मामलों में |
कार्यवाही का प्रकार | न्यायिक और प्रशासनिक कार्य | राजस्व और प्रशासनिक कार्य |
🔷 DM और कलेक्टर के प्रमुख कार्य (Key Functions of DM and Collector)
क्षेत्र | DM के कार्य | कलेक्टर के कार्य |
---|---|---|
कानून व्यवस्था | दंगों और प्रदर्शन को नियंत्रित करना | भूमि विवादों का निपटारा करना |
अपराध नियंत्रण | पुलिस को आदेश देना, धारा 144 लगाना | अवैध कब्जा हटाना, भूमि अधिग्रहण करना |
विकास कार्य | विकास परियोजनाओं की निगरानी | कृषि, उद्योग और सरकारी योजनाओं का संचालन |
चुनाव प्रक्रिया | चुनाव के समय सुरक्षा सुनिश्चित करना | चुनावी प्रक्रिया के लिए भूमि और संसाधनों का प्रबंधन |
आपदा प्रबंधन | आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों का संचालन | बाढ़, सूखा, महामारी के समय राहत कार्य करना |
न्यायिक कार्य | जमानत और शांति भंग से संबंधित मामलों की सुनवाई | भूमि और संपत्ति विवादों का निपटारा |
🔷 DM और कलेक्टर की नियुक्ति (Appointment of DM and Collector)
✔ दोनों पदों पर IAS अधिकारी की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।
✔ एक IAS अधिकारी का चयन संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा से होता है।
✔ प्रशिक्षण और अनुभव के आधार पर एक IAS अधिकारी को DM और कलेक्टर बनाया जाता है।
✔ कई बार एक ही व्यक्ति को DM और कलेक्टर दोनों पदों का कार्यभार सौंपा जाता है।
🔷 DM और कलेक्टर का संयुक्त प्रभाव (Joint Impact of DM and Collector)
✔ DM और कलेक्टर के संयुक्त कार्यों से जिले का सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक विकास होता है।
✔ किसी आपदा या गंभीर स्थिति में DM और कलेक्टर मिलकर फैसले लेते हैं।
✔ जिले के विकास, कानून व्यवस्था और राजस्व प्रबंधन को संतुलित करने में इनकी अहम भूमिका होती है।
📌 उदाहरण: कोरोना महामारी के दौरान DM ने लॉकडाउन और सुरक्षा व्यवस्था देखी, जबकि कलेक्टर ने राहत सामग्री और मुआवजे का वितरण किया।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ DM और कलेक्टर जिले के प्रशासनिक तंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं।
✅ DM का फोकस कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर होता है, जबकि कलेक्टर का फोकस राजस्व संग्रहण और भूमि प्रबंधन पर होता है।
✅ दोनों पदों का संयुक्त कार्य जिले में सुशासन, विकास और शांति बनाए रखने में सहायक होता है।