📜 जांच (Investigation) – पूरी जानकारी
📅 जांच (Investigation) अपराध की गहराई से पड़ताल करने की एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसे पुलिस द्वारा किया जाता है।
🔍 जांच का उद्देश्य अपराध के वास्तविकता का पता लगाना, दोषियों को पकड़ना, सबूत इकट्ठा करना और गवाहों के बयान दर्ज करना होता है।
👉 यह प्रक्रिया "भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023)" की धारा 193 के तहत नियंत्रित होती है।
🔷 जांच (Investigation) क्या होती है?
✔ जांच एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें पुलिस अपराध की पड़ताल करती है, गवाहों से पूछताछ करती है और सबूत इकट्ठा करती है।
✔ जांच का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि अपराध हुआ है या नहीं, और अगर हुआ है, तो किसने किया है।
✔ जांच के दौरान पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है, सबूत जब्त कर सकती है और चार्जशीट (Chargesheet) दाखिल कर सकती है।
📌 जांच का संचालन BNSS, 2023 की धारा 193 के तहत होता है।
🔷 जांच कौन करता है? (Who Conducts the Investigation?)
✅ पुलिस अधिकारी — सबसे प्रमुख जांचकर्ता होते हैं।
✅ अपराध शाखा (Crime Branch) — जटिल और संगठित अपराधों की जांच करती है।
✅ साइबर क्राइम सेल — साइबर अपराधों की जांच करती है।
✅ विशेष जांच एजेंसियां (CBI, NIA) — संवेदनशील और बड़े मामलों की जांच करती हैं।
📌 जांचकर्ता का अधिकार क्षेत्र और कार्यक्षेत्र राज्य सरकार द्वारा निर्धारित होता है।
🔷 जांच शुरू करने की प्रक्रिया (How Does Investigation Begin?)
जांच की प्रक्रिया किसी भी प्रकार के अपराध की सूचना मिलने के बाद शुरू होती है। इसमें मुख्यतः निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
1️⃣ FIR दर्ज करना (Filing of FIR)
✅ किसी अपराध के बारे में पुलिस को सूचना मिलने के बाद FIR (First Information Report) दर्ज की जाती है।
✅ FIR दर्ज होने के बाद जांच की प्रक्रिया शुरू होती है।
📌 FIR BNSS, 2023 की धारा 173 के तहत दर्ज की जाती है।
2️⃣ घटनास्थल की जांच (Crime Scene Investigation)
✅ पुलिस घटना स्थल का दौरा करती है और वहाँ से सबूत इकट्ठा करती है।
✅ घटना स्थल की तस्वीरें ली जाती हैं और सबूतों का संग्रहण किया जाता है।
✅ सबूतों में उंगलियों के निशान, खून के नमूने, हथियार, दस्तावेज़ आदि शामिल हो सकते हैं।
3️⃣ गवाहों के बयान दर्ज करना (Recording Witness Statements)
✅ गवाहों के बयान धारा 194, BNSS के तहत दर्ज किए जाते हैं।
✅ पुलिस गवाहों से प्रश्न पूछती है और उनके बयान रिकॉर्ड करती है।
✅ अगर गवाह महत्वपूर्ण है, तो मजिस्ट्रेट के समक्ष भी बयान दर्ज कराया जा सकता है।
4️⃣ संदिग्धों से पूछताछ (Interrogation of Suspects)
✅ पुलिस संदिग्धों से पूछताछ करती है और उनसे साक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास करती है।
✅ संदिग्धों को हिरासत में लेकर भी पूछताछ की जा सकती है।
✅ गिरफ्तारी के लिए धारा 189, BNSS का उपयोग किया जाता है।
5️⃣ सबूतों का संग्रहण (Collection of Evidence)
✅ सबूतों का संग्रहण, संरक्षण और फॉरेंसिक जांच की जाती है।
✅ फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) में साक्ष्यों की जांच कराई जाती है।
✅ डिजिटल सबूतों के लिए साइबर फॉरेंसिक का उपयोग होता है।
📌 सबूतों की प्रामाणिकता महत्वपूर्ण होती है, ताकि अदालत में उन्हें चुनौती न दी जा सके।
6️⃣ चार्जशीट (Chargesheet) और क्लोज़र रिपोर्ट (Closure Report) तैयार करना
📜 चार्जशीट (Chargesheet):
✅ जब जांच में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो पुलिस चार्जशीट दायर करती है।
✅ चार्जशीट अदालत में दायर की जाती है, जिसमें आरोपी के खिलाफ लगे आरोप और सबूत शामिल होते हैं।
✅ चार्जशीट BNSS, 2023 की धारा 193 के तहत दायर होती है।
📜 क्लोज़र रिपोर्ट (Closure Report):
✅ अगर पुलिस को पर्याप्त सबूत नहीं मिलते हैं, तो क्लोज़र रिपोर्ट दायर की जाती है।
✅ इसमें यह बताया जाता है कि अपराध साबित नहीं हो पाया है।
✅ क्लोज़र रिपोर्ट को अदालत में प्रस्तुत किया जाता है, जो इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
🔷 जांच के दौरान पुलिस के अधिकार (Powers of Police During Investigation)
✔ आरोपी को गिरफ्तार करना और रिमांड पर लेना।
✔ घर, वाहन या कार्यालय की तलाशी लेना।
✔ सबूतों को जब्त करना और सुरक्षित रखना।
✔ संदिग्धों से पूछताछ करना।
✔ अपराध की पुनर्निर्माण (Crime Reconstruction) करना।
✔ फॉरेंसिक विशेषज्ञों से सलाह लेना।
🔷 अगर पुलिस ठीक से जांच नहीं करती, तो क्या करें?
✅ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को शिकायत करें।
✅ संबंधित मजिस्ट्रेट के पास धारा 175(3), BNSS के तहत शिकायत दर्ज करें।
✅ उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल करें।
✅ मानवाधिकार आयोग (NHRC) या महिला आयोग में शिकायत करें।
📌 किसी भी प्रकार की पुलिस लापरवाही को चुनौती देना आपका अधिकार है।
🔷 जांच की प्रक्रिया के दौरान सावधानियां (Precautions During Investigation):
✔ FIR की कॉपी सुरक्षित रखें।
✔ अपने बयानों को स्पष्ट और सही तरीके से दर्ज कराएं।
✔ झूठे आरोपों से बचें; झूठी शिकायत करना अपराध है।
✔ पुलिस की कार्यवाही को समय-समय पर ट्रैक करें।
✔ यदि पुलिस दबाव बनाए, तो उच्च अधिकारियों को सूचित करें।
🔷 जांच की प्रक्रिया समाप्त होने पर क्या होता है?
✅ चार्जशीट दाखिल होने पर अदालत में सुनवाई होती है।
✅ यदि पर्याप्त सबूत नहीं होते, तो क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल होती है।
✅ अदालत जांच की वैधता और प्रामाणिकता की जांच करती है।
✅ अदालत आरोपी के दोषी या निर्दोष होने का निर्णय करती है।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion):
✅ जांच अपराध की सच्चाई को सामने लाने का महत्वपूर्ण चरण होता है।
✅ BNSS, 2023 की धारा 193 के तहत जांच का संचालन होता है।
✅ यदि जांच में पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो चार्जशीट और नहीं मिलने पर क्लोज़र रिपोर्ट दायर होती है।
✅ पुलिस की जांच प्रक्रिया में आपकी सुरक्षा, अधिकार और न्याय की प्राप्ति महत्वपूर्ण है।