माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007
भारत में बढ़ती बुजुर्ग आबादी और उनकी उपेक्षा को देखते हुए भारत सरकार ने "माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007" लागू किया। इस कानून का उद्देश्य बुजुर्ग माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को उनके बच्चों या उत्तराधिकारियों से उचित भरण-पोषण दिलाना और उनके कल्याण की सुरक्षा करना है।
🔹 इस अधिनियम का उद्देश्य
✅ बुजुर्ग माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
✅ जरूरतमंद माता-पिता को उनके बच्चों से भरण-पोषण प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देना।
✅ संपत्ति दान करने या ट्रांसफर करने के बाद भी वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना।
✅ भरण-पोषण ट्रिब्यूनल के माध्यम से शिकायतों का निपटारा करना।
✅ वृद्धाश्रमों (Old Age Homes) की स्थापना और उनकी देखभाल सुनिश्चित करना।
🔹 इस कानून के तहत कौन-कौन दावा कर सकता है?
1️⃣ माता-पिता:
- 60 वर्ष से कम आयु के माता-पिता भी इस कानून के तहत भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं।
- जैविक (Biological), दत्तक (Adoptive) और सौतेले (Step-parents) माता-पिता इस अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।
2️⃣ वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizens):
- 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी व्यक्ति।
- जिन्होंने अपनी संपत्ति उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित की है, लेकिन देखभाल नहीं मिल रही है।
3️⃣ किसके खिलाफ दावा कर सकते हैं?
- माता-पिता अपने बच्चों, दत्तक बच्चों, पोते-पोतियों या उत्तराधिकारियों से भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं।
- वरिष्ठ नागरिक अपने उत्तराधिकारी या संपत्ति प्राप्त करने वाले व्यक्ति से देखभाल की मांग कर सकते हैं।
🔹 भरण-पोषण में क्या शामिल है?
✅ रहने की सुविधा (आश्रय)
✅ भोजन और दैनिक जरूरतें
✅ स्वास्थ्य सेवाएँ और चिकित्सा सहायता
✅ भावनात्मक और मानसिक देखभाल
🔹 भरण-पोषण की कानूनी प्रक्रिया
1️⃣ भरण-पोषण ट्रिब्यूनल (Maintenance Tribunal) में आवेदन कैसे करें?
✔ माता-पिता/वरिष्ठ नागरिक स्वयं या किसी प्रतिनिधि के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
✔ राज्य सरकार द्वारा नियुक्त ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
✔ आवेदन मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से दिया जा सकता है।
2️⃣ ट्रिब्यूनल का फैसला:
✔ ट्रिब्यूनल भरण-पोषण की राशि तय करेगा (अधिकतम ₹10,000 प्रतिमाह)।
✔ अगर आरोपी आदेश का पालन नहीं करता है, तो 3 महीने तक की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है।
🔹 संपत्ति हस्तांतरण और वापसी का प्रावधान
👉 यदि किसी वरिष्ठ नागरिक ने अपनी संपत्ति अपने बच्चों या उत्तराधिकारी को दी हो, लेकिन वे उनकी देखभाल नहीं कर रहे, तो:
✔ वह संपत्ति वापस लेने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है।
✔ संपत्ति ट्रांसफर को अमान्य घोषित किया जा सकता है यदि देखभाल की शर्तों का पालन नहीं हुआ।
🔹 वृद्धाश्रमों (Old Age Homes) की स्थापना
🏡 इस अधिनियम के तहत राज्य सरकारों को वृद्धाश्रमों की स्थापना करने का प्रावधान है।
✔ हर जिले में वृद्धाश्रम बनाना अनिवार्य है।
✔ वहाँ बुजुर्गों को आवास, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलनी चाहिए।
🔹 सजा और दंड
🚨 अगर कोई संतान या उत्तराधिकारी माता-पिता/वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल नहीं करता, तो:
✅ ट्रिब्यूनल उसे भरण-पोषण देने का आदेश देगा।
✅ पालन न करने पर ₹10,000 तक जुर्माना या 3 महीने की जेल हो सकती है।
✅ अगर संपत्ति बिना देखभाल की शर्तों के ट्रांसफर हुई है, तो वह वापस ली जा सकती है।
🔹 महत्वपूर्ण तथ्य
✔ यह कानून संपूर्ण भारत में लागू है।
✔ माता-पिता को अपने बच्चों पर कानूनी रूप से भरण-पोषण की मांग करने का अधिकार देता है।
✔ सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को वृद्धाश्रम और अन्य कल्याणकारी सुविधाएँ प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है।
🚀 निष्कर्ष
"माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007" बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें सम्मानजनक जीवन देने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है।
✅ यदि माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों की उचित देखभाल नहीं हो रही, तो वे "भरण-पोषण ट्रिब्यूनल" में शिकायत कर सकते हैं।
✅ यदि संपत्ति ट्रांसफर के बाद भी देखभाल नहीं हो रही, तो वे संपत्ति को वापस लेने का कानूनी अधिकार रखते हैं।
✅ राज्य सरकारें वृद्धाश्रमों की स्थापना और अन्य कल्याणकारी सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं।
📢 यदि आपके माता-पिता या कोई वरिष्ठ नागरिक इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो वे इस कानून के तहत अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। 😊