📜 जिरह (Cross-Examination)
📅 जिरह (Cross-Examination) न्यायालय में सुनवाई (Trial) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें दोनों पक्षों के वकील गवाहों से प्रश्न पूछते हैं ताकि सच को सामने लाया जा सके।
🔍 जिरह का उद्देश्य गवाहों के बयानों की सच्चाई की जांच करना, उनके बयान की विश्वसनीयता को परखना और झूठे या भ्रमित करने वाले बयानों को उजागर करना होता है।
👉 यह प्रक्रिया "भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023)" और "भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA, 2023)" के अंतर्गत होती है।
🔷 जिरह (Cross-Examination) क्या है?
✔ जिरह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें गवाहों से प्रश्न पूछे जाते हैं ताकि उनके बयानों की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
✔ यह प्रक्रिया अभियोजन पक्ष (Prosecution) और बचाव पक्ष (Defense) दोनों के लिए उपलब्ध होती है।
✔ जिरह का उद्देश्य यह होता है कि गवाह से विरोधाभासी बातें निकलवाई जाएं या उसका झूठ पकड़ में आए।
✔ जिरह न्यायालय में पारदर्शिता बनाए रखने और न्याय को निष्पक्ष बनाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
📌 BNSS, 2023 की धारा 267 और BSA, 2023 की धारा 138 में जिरह का प्रावधान है।
🔷 जिरह का उद्देश्य (Purpose of Cross-Examination):
✅ गवाह के बयान की सच्चाई और विश्वसनीयता की जांच करना।
✅ गवाह के विरोधाभासी या झूठे बयान को उजागर करना।
✅ गवाह के याददाश्त, दृष्टिकोण और ज्ञान की परीक्षा करना।
✅ गवाह के पक्षपाती होने या किसी के प्रभाव में आने का पता लगाना।
✅ अभियोजन या बचाव पक्ष के तर्क को मजबूत या कमजोर करना।
🔷 जिरह की प्रक्रिया (Process of Cross-Examination):
1️⃣ मुख्य परीक्षा (Examination-in-Chief):
➡ मुख्य परीक्षा में गवाह को वह पक्ष प्रस्तुत करता है, जिसने उसे बुलाया है।
➡ गवाह अपने बयानों को प्रस्तुत करता है और घटनाओं का वर्णन करता है।
➡ मुख्य परीक्षा का उद्देश्य गवाह के बयान से मामले को समर्थन देना होता है।
📌 उदाहरण: अभियोजन पक्ष अपने गवाह से घटना का विवरण पूछता है।
2️⃣ जिरह (Cross-Examination):
➡ गवाह की मुख्य परीक्षा के बाद विरोधी पक्ष (Opposite Party) द्वारा जिरह की जाती है।
➡ गवाह से विरोधाभासी सवाल पूछे जाते हैं ताकि उसके बयान को चुनौती दी जा सके।
➡ जिरह में प्रश्न मुख्यतः "हां" या "ना" के रूप में होते हैं।
➡ गवाह को भ्रमित करने, याददाश्त की जांच करने और झूठ पकड़ने का प्रयास किया जाता है।
📌 उदाहरण: बचाव पक्ष अभियोजन पक्ष के गवाह से यह पूछ सकता है कि घटना के समय उसकी दृष्टि साफ थी या नहीं।
3️⃣ पुनः परीक्षा (Re-Examination):
➡ जिरह के बाद जिस पक्ष ने गवाह को बुलाया था, वह पुनः परीक्षा कर सकता है।
➡ पुनः परीक्षा का उद्देश्य जिरह के दौरान हुई गलतफहमी या विवाद को स्पष्ट करना होता है।
➡ इसमें नए मुद्दों को नहीं उठाया जा सकता, केवल जिरह से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
📌 उदाहरण: अभियोजन पक्ष पुनः परीक्षा में गवाह से स्पष्टता प्राप्त कर सकता है।
🔷 जिरह के नियम (Rules for Cross-Examination):
✔ जिरह के प्रश्न स्पष्ट और सीधे होने चाहिए।
✔ गवाह को डराना-धमकाना या भ्रमित करना अवैध है।
✔ जिरह के दौरान अनुचित भाषा का उपयोग नहीं किया जा सकता।
✔ गवाह के व्यक्तिगत जीवन से जुड़े प्रश्न पूछना, यदि वह मामले से संबंधित नहीं है, अवैध माना जाता है।
✔ गवाह से झूठ निकलवाने का प्रयास नहीं किया जा सकता।
📌 BSA, 2023 की धारा 146 के अनुसार जिरह में व्यक्तिगत हमले नहीं किए जा सकते।
🔷 जिरह के प्रकार (Types of Cross-Examination):
प्रकार | विवरण | उदाहरण |
---|---|---|
नेतृत्व जिरह (Leading Cross-Examination) | गवाह से सीधा "हां" या "ना" में जवाब मांगा जाता है। | "क्या आपने आरोपी को घटना स्थल पर देखा?" |
आरोपात्मक जिरह (Accusatory Cross-Examination) | गवाह के बयान को कमजोर करने का प्रयास किया जाता है। | "क्या यह सच नहीं है कि आपने पैसे लेकर झूठी गवाही दी?" |
याददाश्त की जांच (Memory Testing) | गवाह की याददाश्त पर सवाल उठाया जाता है। | "क्या आपको सही समय याद है जब घटना घटी थी?" |
मंशा की जांच (Testing Intentions) | गवाह के इरादों पर सवाल उठाए जाते हैं। | "क्या आप आरोपी से व्यक्तिगत दुश्मनी रखते हैं?" |
🔷 जिरह के दौरान गवाह के अधिकार (Rights of a Witness During Cross-Examination):
✔ गवाह को सच बोलने का अधिकार है।
✔ गवाह से जबरन बयान नहीं लिया जा सकता।
✔ गवाह से अपमानजनक भाषा में प्रश्न नहीं पूछे जा सकते।
✔ गवाह को भ्रमित करने या डराने की अनुमति नहीं है।
✔ गवाह को यदि कोई प्रश्न समझ न आए, तो वह स्पष्टीकरण मांग सकता है।
📌 BSA, 2023 की धारा 147 के तहत गवाह के अधिकार सुरक्षित हैं।
🔷 जिरह की प्रभावशीलता बढ़ाने के तरीके (Tips for Effective Cross-Examination):
✔ प्रश्न छोटे, सरल और स्पष्ट हों।
✔ प्रश्नों में तार्किकता हो और कोई विरोधाभास न हो।
✔ गवाह को फंसाने के बजाय सच्चाई को सामने लाने का प्रयास करें।
✔ गवाह की मानसिक स्थिति और अनुभव को ध्यान में रखते हुए प्रश्न पूछें।
✔ गवाह को उत्तेजित करने से बचें; इससे मामला उलझ सकता है।
🔷 जिरह के दौरान सावधानियां (Precautions During Cross-Examination):
✔ गवाह को धमकाना या डराना अवैध है।
✔ गवाह के बयान को गलत साबित करने के लिए झूठे आरोप नहीं लगाने चाहिए।
✔ गवाह के व्यक्तिगत जीवन पर अनुचित प्रश्न नहीं पूछने चाहिए।
✔ जिरह करते समय विनम्रता बनाए रखें और न्यायालय के प्रति सम्मान रखें।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion):
✅ जिरह न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे अपराध की सच्चाई को उजागर करने में मदद मिलती है।
✅ यह प्रक्रिया गवाहों के बयानों की विश्वसनीयता को परखने और उनके बयान में विरोधाभास को उजागर करने का अवसर प्रदान करती है।
✅ BNSS, 2023 की धारा 267 और BSA, 2023 की धारा 138 के तहत जिरह की प्रक्रिया को संचालित किया जाता है।
✅ उचित और निष्पक्ष जिरह से ही न्याय की प्राप्ति संभव होती है।